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PMJAY : जेनेरिक दवाओं के प्रति जागरूक करने के लिए जन औषधि दिवस, इलाज के लिए मिल रही सस्ती दवाएं

नागरिकों को जन औषधि और जेनेरिक दवाओं के प्रति जागरूक करने के लिए देश भर में आज यानी 7 मार्च, 2023 को जन औषधि दिवस मनाया जा रहा है। इस बार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का 5वां दिवस मनाया जा रहा है। साल 2023 के जन औषधि दिवस की थीम ‘जन औषधि - सस्ती भी अच्छी भी’ है। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा यह दिवस, देश के सभी 9000 से अधिक जन औषधि केन्द्रों पर लोगों में PMJAY के तहत सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में 1 मार्च से 7 मार्च तक पूरे देश में जन औषधि सप्ताह मनाया गया है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, भारतीय जन औषधि परियोजना की उपलब्धियां काफी संतोषप्रद हैं। इससे न केवल इलाज के खर्च को लेकर देश के करोड़ों लोगों की चिंताएं दूर हुई हैं, बल्कि उनका जीवन भी आसान हुआ है।

https://twitter.com/narendramodi/status/1633003693850386432?s=20

आओ जन औषधि मित्र बनें

जन औषधि सप्ताह-2023 की कड़ी में 5वें जन औषधि दिवस के छठे दिन को "आओ जन औषधि मित्र बनें" के रूप में देश भर में मनाया गया। पूरे सप्ताह चलने वाले इस उत्सव के छठे दिन फार्मा कॉलेज और विश्वविद्यालयों में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना पर अखिल भारतीय संगोष्ठी व कार्यशालाएं आयोजित की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए MyGov पोर्टल पर डिजिटल माध्यम से 'जन औषधि संकल्प' लिया है। इसके अलावा छात्रों को जन औषधि केंद्र खोलने में सक्रिय रूप से हिस्सा लेकर उद्यमशीलता के प्रयासों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।

5 वां जन औषधि सप्ताह-2023

जन औषधि केंद्रों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी देने के लिए 1 मार्च से 7 मार्च के हफ्ते को जन औषधि सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
भारत के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने 1 से 7 मार्च 2023 तक जन औषधि योजना के बारे में जागरूक करने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किया है। इसके लिए ‘जन औषधि –सेवा भी, रोजगार भी’ का नारा दिया गया है। इस दिवस के मौके पर 7 मार्च, 2023 को सभी जन औषधि केंद्रों पर जनप्रतिनिधि के अलावा डॉक्टर और जिन लोगों ने जन औषधि केंद्रों से दवाइयां ली हैं उन सभी लोगों ने भी अपने अनुभव साझा किए हैं।

2019 में जन औषधि दिवस की शुरुआत

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों के बारे में जागरुक करने के लिए जन औषधि दिवस की शुरुआत 7 मार्च 2019 को हुई थी। लोगों को जेनेरिक और उच्च गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए पीएम मोदी ने इस दिवस की शुरुआत 2019 में की। इसी दिन से हर साल 7 मार्च को देश भर में जन औषधि दिवस मनाया जाने लगा।

जन औषधि केन्द्रों की खासियत

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर सस्ती जेनरिक दवाएं मिलती हैं, जो मार्केट में उपलब्ध ब्रांडेड दवाइयों से काफी सस्ते दामों में उपलब्ध होती हैं। देश में मौजूदा 9 हजार से अधिक जन औषधि केंद्रों की खास बात है कि इसमें 50 से 90 फीसदी तक सस्ती दवाइयां मिलती हैं। ये दवाएं गुणवत्ता के लिहाज से बेहद असरदार होती हैं। इसी वजह से हर दिन लगभग 12 लाख लोग इन जन औषधि केंद्रों पर जाते हैं। फिलहाल इन सभी औषधि केन्द्रों पर करीब 1,800 दवाइयां और करीब 300 सर्जिकल उपकरण किफायती दरों पर मिलते हैं।


जन औषधि के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष ट्रेन

बता दें कि जन औषधि के प्रति जागरूकता लाने के लिए दो विशेष ट्रेन भी चलाई जा रही है। ये ट्रेन दिल्ली से छत्तीसगढ़ और पुणे से दानापुर तक चलेगी। इसके अलावा 10 शहरों में हेरिटेज वॉक का भी आयोजन किया जाएगा। यह ट्रेन देश के 9000 से अधिक औषधि केन्द्रों में उपलब्ध सस्ती और कारगर जेनरिक दवाओं के बारे में लोगों को जागरुकता फैला रही है।


प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक अच्छी पहुंच हो। इसका मकसद जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। भारत में डॉक्टरों के बीच जेनेरिक दवाओं की सिफारिश नहीं करने का सदियों पुराना रिवाज है। वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार इसे बदलना चाहती थी। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना नवंबर 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा शुरू की गई थी। वर्तमान में देश के 743 जिलों में लगभग 9 हजार से अधिक जनऔषधि केन्द्र कार्यरत है।

गौरतलब है कि भारत की जेनेरिक दवाइयां दुनियाभर में मशहूर हैं और दुनिया के हर 5 में से एक व्यक्ति भारत में बनी दवा खाता है। जनऔषधि केंद्र पर देश के हर कोने में आम जन को सस्ती और अच्छी दवाईयां मिल रही है। 2014 से पहले जन औषधि केंद्रों के शेयर 2 फीसद था जो अब बढ़कर 8 फीसद से ज्यादा हो गया है। बीते सालों में 9000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र से 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जेनरिक दवाएं बेची जा चुकी है।

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