ई-श्रम कार्ड से असंगठित श्रमिकों की जिंदगी में आएगा बदलाव, जानें क्यों है जरूरी
Read Moreमथुरा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इसी क्रम में जनपद में सोमवार से दो जुलाई तक सास, बेटा बहू सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।। इसमें उप केंद्र स्तर तक सास बहू के साथ बेटा यानी बहू के पति भी आएंगे और परिवार नियोजन की बारीकियों को समझेंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत पुरुषों को भी इस मुहिम में शामिल करने की कवायद चल रही हैं। सम्मेलन का उद्देश्य सास बहू के बीच संबंध, समन्वय और संवाद के जरिये बेटे के सहयोग से परिवार नियोजन को लेकर बेहतर माहौल बनाना है। ताकि वह परिवार नियोजन को लेकर वह अपनी अवधारणाओं, व्यवहार और विश्वास में बदलाव ला सकें। सीएमओ ने कहा कि परिवार में अधिकतर निर्णय में पुरुष की सहमति सर्वोपरि होती है। इसलिए उन्हें इस कार्यक्रम में सीधे तौर पर शामिल किया जा रहा है, जिससे कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में असमंजस की स्थिति न बने। परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. चित्रेश निर्मल ने बताया कि सास,बेटा-बहू सम्मेलन का आयोजन उपकेंद्र स्तर पर होगा। प्रत्येक उपकेंद्र पर 10-20 आशा कार्यकर्ता होती हैं। सम्मेलन दो-तीन आशा कार्यकर्ताओं के कार्य क्षेत्र को मिला कर एक स्थान पर आयोजित होगा। सम्मेलन की तैयारी एएनएम और आशा कार्यकर्ता के संयुक्त प्रयास से प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में की जाएगी। सम्मेलन में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर( सीएचओ) द्वारा भी पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूपीटीएसयू संस्था के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ सम्मेलन में अहम भूमिका निभाएंगे। नोडल अधिकारी ने बताया कि सम्मेलन में प्रतिभागियों का आपस में परिचय, गुब्बारा खेल के जरिये छोटे परिवार का महत्व, परिवार नियोजन में स्थायी साधनों की जानकारी, परिवार नियोजन के लिए बास्केट ऑफ चॉइस के आधार पर अस्थाई साधनों के बारे में जानकारी, प्रसव के बाद परिवार नियोजन साधन, गर्भ समापन के बाद परिवार नियोजन साधन की जानकारी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, शगुन किट वितरण तथा पुरस्कार वितरण आदि कार्यक्रम होंगे।
यह होंगे शामिल
-ऐसे दंपति, जिनका विवाह एक वर्ष के भीतर हुआ हो।
-उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाएं।
-दंपति, जिन्होंने परिवार नियोजन का कोई साधन नहीं अपनाया हो।
-ऐसे दंपति जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं।
-ऐसे आदर्श दंपति जिनके विवाह के दो वर्ष बाद बच्चा हुआ हो ।
-ऐसे दंपति जिनके पहले बच्चे और दूसरे बच्चे के जन्म के बीच कम कम तीन साल का अंतराल हो।
-ऐसे दंपति, जिन्होंने दो बच्चे के बाद परिवार नियोजन का स्थायी साधन अपनाया हो।
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