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पंजाब के राज्यपाल द्वारा 'मेरी सरकार' कहने पर विधानसभा में क्यों हुआ हंगामा, यहां पढें...

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा राज्य को मेरी सरकार के रूप में संदर्भित करने पर आपत्ति जताई और अंत में उन्होंने और कांग्रेस विधायकों के वॉकआउट कर दिया। जैसे ही पुरोहित ने अपना संबोधन शुरू किया, बाजवा उठे और कहा कि इस सरकार ने कई मुद्दों पर जवाब मांगने वाले उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया है और वह इसे मेरी सरकार कह रहे हैं। बाजवा ने कहा, उन्होंने (आप सरकार) आपके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इस पर पुरोहित ने बाजवा और कांग्रेस सदस्यों को उनके संबोधन के बाद इस मुद्दे पर बहस करने की सलाह दी। उन्होंने कहा- कृपया मुझे भाषण पूरा करने दें, कोई विवाद नहीं होना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण सत्र है। इस बीच, सत्ता पक्ष और विपक्ष की बेंच के बीच तीखी नोकझोंक हुई और राज्यपाल ने कहा: ठीक है, मैं सरकार कहूंगा, मेरी सरकार नहीं, यह विवाद से बचने के लिए बेहतर है।

हंगामे के दौरान सदन के नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल से कहा कि यह उनकी सरकार है और उन्होंने बजट सत्र बुलाया है। मान ने बाजवा से कहा कि जब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो तो वह इस मुद्दे पर बहस कर सकते हैं और उन्हें राज्यपाल के बीच में नहीं बोलना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां के हस्तक्षेप पर पुरोहित ने अपना भाषण फिर से शुरू किया, लेकिन उन्होंने भाषण में मेरी सरकार शब्दों को छोड़ दिया। फिर मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल को अपने भाषण में मेरी सरकार शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

इस पर पुरोहित ने कहा, एक मिनट मेरी बात सुनिए। यह पहली बार नहीं है जब मैं राज्यपाल हूं। मैं तमिलनाडु, असम और मेघालय का राज्यपाल था। कुछ राज्यों में संबोधन में 'सरकार' और कुछ राज्यों में 'मेरी सरकार' लिखा होता है। यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है। बाद में, राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री भी सही थे। उन्होंने कई मौकों पर मेरी सरकार का जिक्र करते हुए अपना संबोधन फिर से शुरू किया।

जैसा कि एक घंटे से अधिक के संबोधन के दौरान, राज्यपाल 36 सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्यों को सिंगापुर में पांच दिवसीय नेतृत्व विकास कार्यक्रम के लिए भेजे जाने का जिक्र कर रहे थे, बाजवा फिर खड़े हुए और पुरोहित को इस मुद्दे पर मान को उनके पत्र के बारे में याद दिलाया। उन्होंने राज्यपाल से पूछा कि क्या सरकार ने उनके द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान की है। पुरोहित ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह प्रदान करेंगे।

मेरी सरकार शब्दों के बार-बार उपयोग से नाराज कांग्रेस विधायक तब उठे और यह कहते हुए सदन से बाहर चले गए कि भाषण सुनने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि सरकार उन्हें चयनित राज्यपाल और खुद को निर्वाचित प्रतिनिधि मानती है। अंत में राज्यपाल ने सभी सदस्यों को सदन की कार्यवाही के दौरान सदन की मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी।

लंबे समय से मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव जारी था। बजट को लेकर भी दोनों के बीच जमकर विवाद हुआ था। पुरोहित ने 23 फरवरी को अपने पत्र में कहा था कि वह मान के 'अपमानजनक' और 'असंवैधानिक' ट्वीट और 13 और 14 फरवरी को उन्हें संबोधित पत्र पर कानूनी सलाह लेने के बाद ही फैसला लेंगे।


साभार-khaskhabar.com

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