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कोविड के दौर में इसे जन आंदोलन में बदलने की है जरूरत

फिटनेस केवल एक शब्द नहीं है बल्कि यह एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन का जरूरी स्तंभ होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य सिर्फ बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी का न होना ही नहीं है अपितु एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली की मनोस्थिति है। स्वस्थ लोग रोजमर्रा की गतिविधियों से निपटने के लिए और किसी भी परिवेश के मुताबिक खुद को संतुलन बनाए रखते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने फिट इंडिया मूवमेंट क शुरुवात की थी। वर्तमान समय में कोविड महामारी ने जिस तरह लोगों को तनाव और परेशानी में डाला है उसे देखते हुए इसका महत्व अब और बढ़ गया है।

कब हुआ था अभियान लॉन्च

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनाने के सपने के साथ 29 अगस्त, 2019 को फिट इंडिया मूवमेंट शुरू किया था। पिछले दो वर्षों में, फिट इंडिया मूवमेंट अपने विभिन्न फिटनेस अभियानों जैसे फिट इंडिया स्कूल वीक, फिट इंडिया फ्रीडम रन, फिट इंडिया साइक्लोथॉन, और कई अन्य के माध्यम से देश भर में लाखों लोगों से जुड़ा है।
इस समय फिट इंडिया मूवमेंट ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 का भी आयोजन कर रहा है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ भारत की आजादी के 75 साल का जश्न मनाने के उद्देश्य से की गयी भारत सरकार की एक पहल है।

फिट इंडिया अभियान का मकसद लोगों को खेल और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। इससे संबंधित सलाह देने के लिए ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ पर एक समिति बनाई गई थी। इसमें ओलंपिक संघ (आईओए), राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ), सरकारी अधिकारी, निजी निकाय तथा प्रसिद्ध फिटनेस हस्तियों को शामिल किया गया था। खेल मंत्री किरेन रिजिजू इस 28 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष थे।

दूसरी वर्षगांठ पर केन्द्रीय खेल मंत्री लॉन्च करेंगे मोबाईल एप

फिट इंडिया अभियान को शुरू हुए 2 साल होने को आए हैं। दूसरी वर्षगांठ पर केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर फिट इंडिया मोबाईल एप लॉन्च करेंगे। एप्लिकेशन लॉन्च करने का कार्यक्रम दिल्ली के प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह, पहलवान संग्राम सिंह वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस बार फिट इंडिया मूवमेंट ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के तहत फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 भी आयोजित कर रहा है।

क्यों पड़ी ‘फिट इंडिया अभियान’ की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2016 में पूरे विश्व में बीमारियों से 95 लाख 69 हजार लोगों की जान चली गई। इनमें 63 फीसदी मौतें गैर-संक्रामक रोगों से हुईं थी। आईएचएमई के अनुसार भारत में इस्केमिक हार्ट डिजीज, टीबी, निओनेटल डिसऑर्डर, अस्थमा, डायबिटीज और क्रोनिक किडनी डिजीज की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। ये बीमारियां असामयिक मौत की भी बड़ी वजह हैं। इसके अलावा भोजन में आयरन की कमी, सरदर्द की बीमारी, कमर के निचले हिस्से में दर्द, दृष्टिहीनता और दृष्टिदोष, नियोनेटल डिसओर्डर और डायबिटीज के चलते बड़ी संख्या में लोग अंपगता के शिकार हो जाते हैं। फिटनेस के माध्यम से तनाव मुक्त होने से इसमें से कई सारी बीमारी कम की जा सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फिट इंडिया अभियान की शुरुआत की थी।

सरकार किस तरह कर रही है सहयोग

उल्लेखनीय है कि इस अभियान में खेल मंत्रालय के साथ मानव संशाधन विकास मंत्रालय और पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर काम करेंगे और देश में फिटनेस के प्रति जागरुकता फैलाएंगे। फिटनेस को लेकर हर साल अलग-अलग विषयों पर अभियान चलाया जाता है। योजना के अनुसार पहले साल शारीरिक फिटनेस, दूसरे वर्ष खाने की आदत, तीसरे वर्ष पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली और अंतिम साल रोगों से दूर रहने के तरीकों के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी।

2019 में अभियान के शुरूवाती महीने में देश के सभी शिक्षण संस्थानों में खेल प्रतिभाओं के साथ वॉकथान, साइकिल रैली आयोजित की गई और चेकअप कैंप लगाए गए थे। दूसरे महीने में कस्बा, जिलों में स्कूल और यूनिवर्सिटी में हर स्तर पर खेल इवेंट आयोजित कराए गए। इसमें सभी छात्रें को शारीरिक गतिविधि में शामिल होना जरूरी था। तीसरे महीने में सोशल मीडिया के जरिए फिटनेस क्लब बनाने के लिए प्रेरित किया गया ताकि वे हर हफ्ते शारीरिक गतिविधियों में परिवार और दोस्तों को शामिल कर सकें। इसके साथ ही लोगों को इस अभियान के महत्व से अवगत कराने के लिए हर माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया गया। इस दौरान फिटनेस संबंधित किताब और अन्य सामग्री भी वितरित की गई। अभी इस साल 2021 में इसको और बढ़ाने के लिए मोबाईल एप लॉन्च किया जा रहा है।

कोविड के दौर में इसे जन आंदोलन में बदलने की है जरूरत

सरकार द्वारा ‘फिट इंडिया अभियान’ का चलाया जाना स्वास्थ्य को लेकर सरकार की गंभीरता को बताता है। दरअसल स्वस्थ भारत ही एक सशक्त भारत का निर्माण कर सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर भारतीयों के सेहत में सुधार आ जाए तो भारत की जीडीपी में 1.4% का इजाफा किया जा सकता है। इससे उत्पादकता और प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी। वहीं सेहत में सुधार होने से बीमारियों पर भी खर्च कम हो जायेगा नतीजतन सरकार का खर्च बचेगा जिसका प्रयोग सरकार द्वारा कल्याणकारी व अन्य कार्यों में किया जा सकेगा। खासकर कोविड महामारी के दौर में तनाव और अकेलेपन के साथ-साथ भयानक संक्रमक रोगों से बचने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अंततः फिट इंडिया को भारत के लिए वर्तमान समय की मांग कहा जा सकता है जिसको सफल बनाने के लिए जरूरी है कि इस अभियान को एक आंदोलन में बदला जाए।

नारद संवाद


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