Bad luck comes from having these things at the main door of the house, the person remains buried under debt.
Read Moreआज का विचार : जीव को कर्म की गति भोगने के लिए इस पृथ्वी लोक पे आना जाना पड़ता है....किसी भी रूप में जीव इसकी गति को भोगता ही है इसलिए अपने पूरे जीवन में विशेष सावधानी बरतें..….कर्म की गाथा कोई साधारण गाथा नहीं है...जीवन के पाप पुण्य के अलग अलग भाग को तय करने माप दंड है....इसलिए माधव ने गीता में इसका जिक्र कई बार किया है.... सत कर्म का मार्ग चुनिए अगर बुद्धि विवेक दिया है....वैसे फल तो माधव के हाथों में है....कर्म करते रहिए..…एक बात और कर्म और आपके भोग के बीच की दूरी कम नहीं हो सकती जब तक की आप उस कर्म की सीमा रेखा से न गुजर जाओ....जीव का कर्म लौट लौट के इस मृत्यु लोक में घूमा घूमा के लाता रहता है जब तक जीव उस चक्र को पूरा न कर ले...आगे हरिहर इच्छा....
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हमारे जीवन की यात्रा में कर्म की भूमिका बहुत बड़ी है
कर्म फल भोगना पड़ता है
कर्म का लेखा पीछा करता है एक साए की तरह...