ई-श्रम कार्ड से असंगठित श्रमिकों की जिंदगी में आएगा बदलाव, जानें क्यों है जरूरी
Read Moreमथुरा। कृषि वैज्ञानिक हर किसान गोष्ठी और कार्यक्रम में किसानों को फसल चक्र अपनाने की मशवरा देते हैं। बावजूद इसके जनपद में फसल विविधता लगातार कम हो रही है। कुछ दशक पहले तक रवी, खरीफ और जायद की फसलों में फसल विविधता भरपूर थी। रवी सीजन की बात करें तो किसानों ने कई फसलों से मुहं सा मोड लिया है जबकि यह वर्तमान में मुनाफे का सौदा साबित हो सकती हैं। चना, मटर, मसूर जैसी फसलों का रकबा लगातार घटा है। जिला कृषि अधिकारी के मुताबिक पिछले सीजन में में यानी 2021-22 में चना 19 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोया गया था। उत्पादन 49 क्विंटल रहा और उत्पादकता 25.79 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही। इस साल 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य तय किया गया है। जबकि उत्पादन 54 क्विंटल और उत्पादकता 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का लक्ष्य है। मसूर पिछले साल 32 हेक्टेयर में थी, उत्पादन 30 क्विंटल था जबकि उत्पादकता 9.38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही थी। इस साल 40 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित हुआ है जबकि, उत्पादन लक्ष्य 47 क्विंटल, उत्पादकता 11.75 क्ंिवट प्रति हेक्टेयर रखी गई है। वहीं मटर और अरहर का कोई लक्ष्य नहीं दिया गया है। मक्का का भी इस साल कोई सरकारी लक्ष्य जनपद को नहीं मिला है। जौ की बुआई भी घटी है। पिछले साल जौ का क्षेत्रफल 4266 हेक्टेयर था। उत्पादन 15426 क्विंटल तथा उत्पादकता 36.16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही थी। इस साल 4588 हेक्टेयर क्षेत्रफल, उत्पादन 17277 क्विंटल तथा उत्पादकता 37.66 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
गेहूं, सरसों की होती है सर्वाधिक बुआई
जिला कृषि अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए रवी सीजन में बुआई के विगत वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का 2021-22 में 195256 हेक्टेयर रकबा था जबकि उत्पादन 681443 टन रहा था, वहीं 34.90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही थी। 2022-23 में 194250 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई है। उत्पादन लक्ष्य 729082 टन, उत्पादकता 37.53 क्विंटल आंकी गई है। पिछले साल राई और सरसों 50593 हैक्टेयर में थी। वहीं उत्पादन 79735 क्विंटल तथा उत्पादकता 15.76 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। इस साल 54982 हेक्टेयर बुआई लक्ष्य निर्धारित है। उत्पादन 94362 क्विंटल, उत्पादकता 17.16 रखी गई है।
कभी भरपूर होता था गन्ना, अब सब सूना
जनपद में छाता सुगर मिल थी। छाता सहित जनपद की सभी तहसीलों में किसान भरपूर गन्ना उगाते थे। आसपास के जनपदों में भी खेती होती थी। छाता सुगर मिल बंद हुई तो किसानों ने गन्ना उगाना भी बंद कर दिया। अब जनपद में मेरठ, सिहाना आदि मंडियों से गुड आता है। हालांकि अभी भी जनपद में जिला गन्ना अधिकारी बैठते हैं और बाकायदा कार्यालय काम कर रहा है लेकिन लेकिन गन्ने की खेती नहीं होती है।
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