Bad luck comes from having these things at the main door of the house, the person remains buried under debt.
Read Moreनई दिल्ली। आमतौर पर स्मार्टफोन के उपयोग के नकारात्मक प्रभावों के बारे में लोगों को बात करते देखा जाता है, लेकिन हाल ही में शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसा पाया है जिसके मुताबिक टीनएजर्स का अपने फोन पर या ऑनलाइन वक्त बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए उतना भी बुरा नहीं है।
नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर माइकेलिन जेन्सन ने कहा है, "आम धारणा के विपरीत कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, हम इस विचार के लिए ज्यादा सपोर्ट नहीं देख रहे हैं कि फोन और ऑनलाइन बिताए गए वक्त का संबंध मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़े जोखिम से है।"
क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 10 से 15 वर्ष तक के आयु वर्ग के बीच 2,000 से अधिक टीनएजर्स पर परीक्षण किया।
शोधकर्ताओं ने दिन में तीन बार इन किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित लक्षणों के रिपोर्ट को इकट्ठा किया और इसके साथ ही हर रोज वे फोन या ऑनलाइन जितना समय बिताते थे उसके बारे में भी रात को रिपोर्ट तैयार किया जाता था।
इन रिपोर्ट को जब बाद में देखा गया तो शोधकर्ताओं ने पाया कि डिजिटल तकनीक के अत्यधिक उपयोग का संबंध खराब मानसिक स्वास्थ्य से नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि रिपोर्ट में जिन युवाओं के अधिक टेक्सट मैसेज भेजने की सूचना मिली वे उन युवाओं की तुलना में अच्छा महसूस कर रहे थे जिन्होंने कम मैसेज भेजा।
तकनीक के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ सलाह देते हुए विशेषज्ञों ने इसका उपयोग जिम्मेदारी के साथ करने पर जोर दिया।
मनोवैज्ञानिक और नोएडा में फोर्टिस मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के निदेशक समीर पारेख के मुताबिक, एक युवा की जिंदगी इनडोर और आउटडोर गतिविधियों के साथ अच्छी तरह से संतुलित होना चाहिए और पढ़ाई व मस्ती के बीच भी संतुलन का होना बेहद आवश्यक है।
उन्होंने बताया, "टीवी, इंटरनेट, सोशल मीडिया का इस्तेमाल लिमिट में किया जाना आवश्यक है और यह कभी भी दोस्तों से बातचीत, फैमिली टाइम, खेल या पढ़ाई पर भारी नहीं पड़ना चाहिए। इनमें संतुलन होना चाहिए। दोस्तों से बात करने के लिए फोन का इस्तेमाल करना अच्छा है, लेकिन छात्रों को सामने से मिलकर दोस्तों से बात करने को भी महत्व देना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "सोशल मीडिया का इस्तेमाल सकारात्मकता के साथ विचारों को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही सोशल मीडिया से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बच्चों को कुछ स्किल्स की जानकारी होना चाहिए।" बड़ों को एक बेहतर रोल मॉडल बनकर बच्चों के समग्र जीवनशैली को एक बेहतर रूप देने में उनकी मदद करनी चाहिए।
साभार-khaskhabar.com
Related Items
अमृतपाल सिंह के चार सहयोगियों को विशेष विमान से लाया गया डिब्रूगढ़, सोमवार दोपहर तक मोबाइल इंटरनेट पर रोक
राहुल गांधी के मोबाइल में ऐसा क्या था जो वो छिपाना चाहते थे : अनुराग ठाकुर
सोमवार, मंगलवार को भी हल्की बरसात का पूर्वानुमान, किसान परेशान