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दो वक्त का भोजन मिल जाएँ...?

आज अभी थोड़ी देर पहले मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के मजदूर बालकृष्ण का फ़ोन आया उसने बताया कल सुबह हम निकल लिए थे...सुन के अच्छा लगा... अपने घर पहुंचा...पर पहुंचा कैसे ये पूछा तो बताया की हाईवे होकर ग्वालियर रोड पकड़ा 20 किलोमीटर के बाद एक ट्रक मिला....जिसने हमे हमारे गंतव्य पर पहुंचा दिया...जाने से खुश था...पर कहा आगये...यहाँ भी हम भूखें ही है...में समझा  नहीं था वो क्या कहना चाहता था.....पर कुछ पल सोचा क्या बोला इसने...तो पूछ बैठा कैसे है सब.... आपको बताना भूल गया की वो मथुरा में पिछले 12 साल से मजदूरी करता था....जब वो मिला था 14 लोग थे मथुरा स्टेशन की पटरी पे चलते हुए....बता रहा था 8 पहुंचे और वाकी मथुरा में है....पूछा तो बताया की स्थानीय थाने में हमने सूचना दे दी थी तो उन्होंने यही बैठा के रखा है... अभी 6 घंटे हो गए न कोई जाँच हुयी न हमसे कुछ कहा गया....एक बात तो है कुछ लोग पावर का गलत इस्तमाल भी करते है....वो इंसानियत को भी भूल जाते है....खेर बात हो रही बालकृष्ण की घर पहुँचने से पहले भी घर नहीं पहुंचा...कारण सेफ्टी वो भी जरुरी है........अब बात करते है यहाँ भी भूख वहां भी भूख क्योकि हम यहाँ से इसलिए गएँ थे की दो वक्त का भोजन मिल जाएँ...पर आज वही आगये यहाँ पहले कुछ नहीं बदला न अब....अब ही आस ही है की ये महामारी ख़त्म हो जाये तो वापस मथुरा आजायें....आज तक यहाँ कुछ नहीं हो पाया सरकारें आती जाती रही पर किसी ने कुछ नहीं किया...एक मजदूर बालकृष्ण का दर्द जो आज भी उसकी आँखों में रहता है....?

नारद संवाद


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