Bad luck comes from having these things at the main door of the house, the person remains buried under debt.
Read More(पवन गौतम) गाँधी यात्रा.....गाँधी जी को जानने के लिए आपको पढ़ना होगा और उन स्थानों पर जाना होगा जहाँ गांधीजी का सफर रहा है. सभी के अपने अपने मत है..समाज में अच्छाई से लेकर बुराई तक उनके बारे में भरी पड़ी है. यात्रा 2018 साबरमती आश्रम। मेरे पास अगर लिखने बैठू तो शब्द नहीं है....गाँधी जी के लिए बहुत लोगों उन पर शोध करते है...अशोक से एक छोटी सी मुलाकात साबरमती आश्रम सुबह के 10बज चुके थे धीरे-धीरे आश्रम में चहल-पहल बढ़ रही थी...अशोक ने बताया गाँधी जी पे शोध कर रहे है... पर अभी तक मंजिल पे नहीं पहुँच पाया उन्होंने बताया क्या कोई ऐसा मानव हो सकता है जिसे उस टाइम जो सुविधा नेहरू, पटेल सबने ले रखी थी उन पर भी ये सुविधा होने के बाबजूद उनका रहना सहना उन भारतीय लोगों की तरह था जिनके तन पे कपडा नसीब नहीं था बापू एक आम भारतीय की तरह रहे...ऐसी हजारों बातें उनको सभी लोगों से अलग बनाती है.... महात्मा ऐसे नहीं बोलते लोग उन्हें....अगर सोचा जाये तो इतिहास में लोगों ने अलग अलग बातें बताई है बापू के बारे में....पहले पीआर कम्पनी नहीं होती थी... मान लिया जाये कुछ तथाकथित लोगों द्वारा कहा गया की बापू को इतिहास में बढ़ा चढ़ा के बताया गया.... क्या ये सच है ,,,?
नहीं क्योकि अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी बापू के लिए बोला आइंस्टीन ने अपने संदेश में लिखा था, आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था....गांधी जी की मृत्यु पर लिखे संदेश में आइंस्टीन ने कहा था, ‘लोगों की निष्ठा राजनीतिक धोखेबाजी के धूर्ततापूर्ण खेल से नहीं जीती जा सकती, बल्कि वह नैतिक रूप से उत्कृष्ट जीवन का जीवंत उदाहरण बनकर भी हासिल की जा सकती है.... ऐसे बहुत महान लोगों ने बातें कही है... आपको हैरत होगी लाखों लोग उन पर शोध करते है....गांधी जी एकमात्र ऐसी शख्सियत है जिनकी तस्वीर 104 देशों के डाक टिकट पर देखी जा सकती है। वे ही ऐसे विरले शख्स महापुरुष हैं, जिनकी भारत समेत 84 से ज्यादा देशों में मूर्तियां लगी हुई हैं। इन देशों में पाकिस्तान, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी से लेकर अनेकों अफ्रीकी देश शामिल हैं।1921 में गांधीजी मद्रास से मदुरई जाती हुई ट्रेन में भीड़ से मिलते हैं. गाँधीजी कहते हैं की उस भीड़ में बिना किसी अपवाद के हर कोई विदेशी कपड़ों में मौजूद था. मैंने उनसे खादी पहनने का आग्रह किया.
उन्होंने सिर हिलाते हुए कहा कि हम इतने गरीब है कि खादी नहीं खरीद पाएंगे बापू कहते हैं मैंने इस तर्क के पीछे की सच्चाई को महसूस किया है...मेरे पास बनियान, टोपी और नीचे तक धोती थी. ये पहनावा अधूरी सच्चाई बयां करती थी जहां लाखों लोग निर्वस्त्र रहने के लिए मजबूर थे. चार इंच की लंगोट के लिए जद्दोजहद करने वाले लोगों की नंगी पिंडलियां कठोर सच्चाई बयां कर रही थी. मैं उन्हें क्या जवाब दे सकता था जब तक कि मैं ख़ुद उनकी पंक्ति में आकर नहीं खड़ा हो सकता हूं तो. मदुरई में हुई सभा के बाद अगली सुबह से कपड़े छोड़कर मैंने ख़ुद को उनके साथ खड़ा किया। ऐसी बहुत सी बातें कहा न शब्द नहीं है...इसके लिए आप सभी लोगों पढ़ना और बापू के स्थानों पर घूमना होगा। आगे फिर मिलते है आपकी और हमारी अपनी बात.. .
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